Navarna Mantra नवार्ण मंत्र के चमत्कार | नवार्ण मंत्र से लाभ ok

Navarna Mantra नवार्ण मंत्र के चमत्कार | नवार्ण मंत्र से लाभ

Navarna Mantra नवार्ण मंत्र के चमत्कार | नवार्ण मंत्र से लाभ
Navarna Mantra नवार्ण मंत्र के चमत्कार | नवार्ण मंत्र से लाभ

Navarna Mantra नवार्ण मंत्र के चमत्कार | नवार्ण मंत्र से लाभ  दुर्गा की साधना में नवार्ण मंत्र का विशेष महात्म्य है। यह लक्ष्मी बीज है, जो कि सम्पूर्ण विश्व में प्रचलित है। नवार्ण मंत्र के बारे में तो अधिकतर लोगों को ज्ञान है, परन्तु उसको इस बीज की साधना करने से या इसका मंत्र जप करने से दरिद्रता साधना और प्रयोग के बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी है।

दूर होती है, निरन्तर आर्थिक उन्नति होने लगती है और अर्थ सम्बन्धी आगे के पृष्ठों में, मैं सर्वमान्य साधना प्रयोग दे रहा हूं, रुके हुए काम को जाते हैं।

जोसाधक निरन्तर केवलइसी बीज जो कि किसों मासाश्रक के लिए अनुकूल है। का उच्चारण करता है, उसका न्यापार बढ़ने लगता है, विछानों ने कहा है, कि चाहे व्यक्ति शिव आर्थिक स्रोत मजबूत होते है और अनायास आसक हो या विभाग उपासक, बह चाहे किसी अन प्रसि के विशेष अवसर बन जाते हैं। मा धर्म का मानने वाला हो, नवार्ण साधना तो उसके जीका की उजति के लिए बह कालो बीज है, शाओं अनुकूल एवं सुखदायकदै ही, इसके का संहार करने.शकुओं पर विजय नववर्ण अनिव-मधदर अपने आप मास करने, मुकदमे में सफलता में विराट शक्तिपुञ्ज लियेहप हैं।

इस प्राप्त करने औरमनके विकारों, ग्रन्थमप्रत्येक अक्षरकी वाचनादी काम, क्रोध, लोभ, मोह, आदि हुई है। इतने विस्तार में फिलहाल पर नियंत्रण प्राप्त करने के लिए जाने की जरूरत नहीं है, परन्तु गुम यह महत्वपूर्ण चीज है। जो इस chamunda  तंत्र में बताया गया है कि बीज का उच्चारण कर कोर्ट- नवार्ण मंत्र से नव अक्षरों को सिद्ध कबहरी में जाना है, तो उस दिन करने पर नौ लाभ तुरन्त अनुभव किये जा सकते हैं। रहलाहै।

काली को प्रसन्न करने और राम चामुण्डा तंत्र के उसके प्रत्यक्ष दर्शन करने के लिए अनुसार नवार्ण मंत्र के ये अक्षरया नौं यह अपने आप में सिद्धबीज है। बीज तथा उनसे सम्बन्धित फल प्रालिसा ४.चा प्रकार से है- यह सौभाग्य बीज है और इसकी महना शास्त्रों ने एक स्वर से स्वीकार यह बीज नवार्ण मंत्र का पहला और सरस्वती की है।

सौभाग्य की रक्षा, पति की उन्नति, पति के बौन है, इसको सिद्ध करने पर स्मरण शक्ति तात्र होती है, यदि स्वास्थ्य और पति की पूर्ण आयु के लिए वह अपने आप में अद्वितीय बालकदम साधना को या इस बीन का उच्चारण करे तो, निश्चय चीज है।

इसी प्रकार यदि पत्नी बीमार हो या उसे किसी प्रकार की ही वह परीक्षा में सफलता माम करता है, सिरदर्द, मासोन, आधा नकलोकहो, तो इस अक्षर का निरन्तार जप करने से वा पत्नी को शीशी आदिविकार और बीमारियां इसबीज के निरन्तर उच्चारण इस बीज मंत्र से सिद्ध करके जल पिलाने से उसके स्वास्थ्य में करने से ठीक हो जाती है. यही बीज अच्छा बता बनने में, वाणी आश्चर्यजनक अनुकूलना आने लगती है, गृहस्थ जीवन की के द्वारा लोगों को प्रभावित करने में पूर्ण रूप से समर्थ है।

सफलता के लिए यह बीज मंत्र ज्यादा उपयोगी है। अडा/ उसके अनुकूल वातावरण बना वि1 अव ५.मुं समय इसके प्रारम्भ में ‘ॐ’ या प्रणव नहीं लगाना चाहिया यह आत्ममंच है, आत्म की उन्नति, कुण्डलिनी जागरण, शास्त्रों में कहा गया है जायन की पूर्णता और अन्त में बहा से पूर्ण साक्षात्कार के लिए यह वाद व काम सक्तिश्च प्रणवः श्रीश्च कटखने। मंत्र सर्वाधिक उपयुक्त एवं अद्वितीय है। उच्च कोटि के संन्यासी तवार्येषु च मन्त्र प्रणव द योजयेत् ।। |

निरन्तर इस मंत्र का जप करते हुए, अपने जीवन को पूर्णता प्रदान अर्थात् जिन मंत्रों के प्रारम्भ में १.२. क्ली, ३. ही, मेला करते हैं, जो साधक निरन्तर इस बीज मंत्र का उच्चारण करता ४. श्री अधार लगा हो, उन मंत्रों में ॐ नहीं लगाना चाहिए। जिस रहता है, उसकी कुण्डलिनी शीघ्र ही जाग्रत हो जाती है।

प्रकार से मंत्र दिया गया है, उसी प्रकार से मंत्र जप करना चाहिए नवार्ण मंत्र की सिधि हेतु नौ दिनों में सवा लाख मंत्र जप ६.डा करने से सफलता मिलती है। सवा लाख मंत्र का तात्पर्य १२५० यह सन्तान सुख बीज है, और भगवती जगदम्बा का सर्वाधिक प्रिय बीज है, यदि पुत्र उत्पन्ननहोरहाहोया संतानबाधाहो मालाएं मंत्र जप करने से सवा लाख मंत्र जप हो जाता है

Navarna Mantra नवार्ण मंत्र के चमत्कार | नवार्ण मंत्र से लाभ

। इस साधना को किसी भी महीने की त्रयोदशी से प्रारम्भ अथवा किसी प्रकार की पुत्र से सम्बन्धित तकलीफ हो. तो इस बीज । मंत्र की सिद्धि करनेसे अनुकूलता प्राप्त होती है। पुत्र के स्वास्थ्य और कर अगले नौ दिनों में यह नवार्ण मंत्र सिद्ध किया जा सकता है।

साधना काल में साधक पोली धोती पहिन, उत्तर की ओर मुंह कर जसकी दीर्घायु के लिए भी इसी बीज मंत्र का सहारा लिया जाता है। सामने भगबनी जगदम्बा का चित्र स्थापित को स्थापित करें साधना ७.ये कर सकते है। साधना के समयतेल का दीपकलमा रहना चाहिए. यह भाग्योदय बीज है, और मानव जीवन में इस बीज यह तेल का दीपक अखण्ड होना चाहिए।

का सर्वाधिक महत्व है, यदि दुर्भाग्य साथ नहीं छोड़ रहा हो, पग पग पर बाधाएं आ रही हों, कोई काम भली प्रकार से सम्पन्न नहीं नवार्ण मंत्र विनियोग हो रहा हो, तो इस मंत्र को विशेष महत्त्व दिया गया है।

जो साधक दाहिने हाथ में जल लेकर निम्न विनियोग का उच्चारण निरन्तर इस बीज मंत्र का जप करता रहता है, उसका शीघ्र करें और जल को सामने रखे हुए पात्र में छोड़ दें भाग्योदय हो जाता है और वह अपने जीवन में सभी दष्टियों से पूर्ण

ॐ अस्य श्री नवार्ण मन्त्रस्य ग्रहा-विष्णु-मा सफलता प्राप्त कर लेता है। ऋषयः गायत्रयुष्णिऽनुष्टुप्ठन्दाति, श्री महाकाली- महालक्ष्मी-महावरस्वत्यो देवताः हैं बीज ही शक्तिः क्लीं कीलक श्री महाकाली – महालक्ष्मी-महासरस्वती प्रीत्यर्थे यह सम्मान, प्रसिद्धि, उच्चता, श्रेष्ठता और सफलताका जपे विनियोगः।

बीजमंत्र है। किसी प्रकार के पुरस्कार प्राप्त करने, समाज में सम्मान ऋष्यादि-न्यास में और यश प्राप्त करने, राज्य में उन्नति और सफलता पाने के लिए निम्न उच्चारण करते हुए बताये हुए शरीर के अंगों को बस बीज मंत्र का उपयोग किया जाता है।

जो साधक निरन्तर इस दाहिने हाथ से स्पर्श करना चाहिए- बीजका प्रयोग करताहैया इसकी साधना करता है, वह निश्चय ही ब्रह्मा-विष्णु-मद्र ऋषिभ्यो नमः । राज्यसम्मान एवं राज्य उन्नति पास करने में सफल हो पाता है। गायत्र्युष्णिनुष्टुपछन्दोम्यां नमः ९.चे महाकाली महालक्ष्मी महासरस्वती-देवताभ्यो नमः।। यह सम्पूर्णता का बोज है, जीवन समो दृष्टियों से पूर्ण बीजाय नमः

मुख और सफल हो, चाहे स्वास्थ्य धन, परिवार यश, सुख, सौभाग्य, ही शक्तये नमः। मानयोः) सन्तान, भाग्योदय और सफलता का तत्व हो, इसे बीज राज क्ली कीलकाय नमः।

(नाभी, कहा गया है। जो साधक इस बीज मंत्र की साधना करता है, वह करन्यास निश्चय ही अपने जीवन में पूर्ण सफलता प्रास करता है। करन्यास करने से साधक स्वयं मंत्र मय बन जाता है,

नवार्ण मंत्र उसके बाहर-भीतर की शुद्धि हो जाती है तथा दिव्य बल प्राप्त इस प्रकार प्रत्येक बीन का अध्ययन करने से नवार्ण करने से वह साधना में सफलता प्राप्त कर लेता है। – अंगुष्ठाभ्यां नमः। मंत्र इस प्रकार से बनता है- हीं तर्जनीभ्यां नमः। ही काली चामुंडा विन्चे। चामुण्डायै अनामिकाभ्यां नमः। शास्त्रों में कहा गया है, कि नवार्ण मंत्र का जप करते विच्चे कनिष्ठिकाभ्यां नमः ।


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