Maa Parvati sadhna पार्वती साधना पूर्ण मातृत्व गृहस्थ सुख साधना ok

Maa Parvati sadhna पार्वती साधना पूर्ण मातृत्व गृहस्थ सुख साधना

Maa Parvati sadhna पार्वती साधना पूर्ण मातृत्व गृहस्थ सुख साधना
Maa Parvati sadhna पार्वती साधना पूर्ण मातृत्व गृहस्थ सुख साधना

Maa Parvati sadhna पार्वती साधना पूर्ण मातृत्व गृहस्थ सुख साधना पार्वती साधना पूर्ण मातृत्व गृहस्थ सुख साधना भगवान शिव का भगवती आद्या शक्ति के पार्वती स्वरूप के साथ संयोग एक विशेष संयोग है जिसमें गृहस्थ जीवन की पूर्ण व्यख्या है। भगवान शिव ने अपना पूर्ण गृहस्थ स्वरूप तो पार्वती के साथ ही स्पष्ट किया है। हिमालय की पुत्री अर्थात पर्वत पुत्री होने के कारण शक्ति के इस द्वितीय स्वरूप का नाम पार्वती पड़ा और यह भगवान शिव के साथ संयोग कर मातृत्व को महानता प्रदान की जिससे गणपति जैसे देवताओं के अधिपति की उत्पत्ति हुई।

संतान और पति दोनों के साथ संयोग रखते हुए गृहस्थ जीवन की विषमताओं को झेलते हुए भगवती पार्वती का यह स्वरूप निराला ही है। पार्वती साधना से सन्तान सुख के साथ साथ पूर्ण गृहस्थ सुख भी प्राप्त होता है और यदि गृहस्थ जीवन में थोड़ा बहुत अभाव है लेकिन पति- पत्नी में आपसी संयोग, सद्भाव, विश्वास श्रेष्ठ है तो गृहस्थ जीवन मधुरमय हो जाता है। यह भगवती पार्वती का ही स्वरूप था। जिसके कारण शिव परिवार में गणेश कार्तिकेय, ऋद्धि सिद्धि, शुभ लाभ इत्यादि आए और इन सबके साथ जीवन की मधुर्यमय स्थिति बनी।

सामग्री वात्सल्य लोचन, पार्वती प्रीत माला पार्वती साधना विधान प्रातः स्नानादि से होकर शुद्ध वस्त्र पहन लें उसके बाद हाथ में जल से भरा हुआ लोटा या लेकर उस दिन तुलसीक पहले पानी चढ़ाकर प्रगाम करें और कुंकुम गृहस्थ सुख की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करें पूजा कक्ष में आकर शुद्ध और पवित्र आसन में बैठकर सामने चौकी स्थापित करें उसमें श्वेत पीले रंग से स्वस्तिक वात्सल्य लोचन को उसमें स्थालिक है।

Maa Parvati sadhna vidhi पार्वती साधना विधि

विनियोग हाथ में यानी में जलकर निम्न मंत्र का उच्चारण करें-

अस्पथी पार्वती मंचस्थ दृक्षिण ऋषिः, नावत्री छन्दः भगवति पार्वती देवता मम अभीष्टविनियोगः भूमि में छोड़ पन्यास ॐ नमः ॐ शिव ॐ में कवचाय हुँ। ॐ विमर्श ज्यास शिरसे स्वाहा। ॐ ऐं कवचाय हूं। त्रयाय वौषट्। द्वितीयतिथी अमुक गोत्र: अमुक शर्मा साधना साफल्यार्थ जयं अर्थ करिसे

जल भूमि पर छोड़ दें

दक्षनासायाम्, ॐ नमः मुखेॐ ॐ शुभं नाम नासायाम, ॐ पार्वत्यै दक्षिणनेत्रे, ॐ ह्रीवामने, ॐ श्रीं दक्षिण कर्णे, ॐ वली वामकर्णे संकल्प ॐ स्वाहा गुडये।

दाहिने हाथ में जल लेकर कर के साधना सफलता के लिए संकल्प करे इसके लिए निम्न संदर्भ का उच्चारण करें।

ॐ विष्णु, विष्णु, विष्णु श्रीमद्भगवतो आया प्रवर्तमानस्य आश्विन मास शुक्ल पक्षे ध्यान महादेवी शुभां शाम त्रिनेत्रां वां तथा। नमामित्यां पार्वती चैव सृष्टि संहार कारिणीम

भगवती देवी पार्वती भी अत्यंत शुभ वस्त्र पहनी हुई है तीन ने वाली वरदान देने वाली संसार की टी और संहार करने के वाली देवी को मैं प्रणाम करता हूं। इसके बाद सभी सामग्री का जल से स्नान कराने, तिलक करके करें फिर निम्न मंत्र का ११ माला मंत्र जप करें

। ॐ भगवती शुभां देहि श्रीं ॐ पार्वत्यै नमः

साधना समाप्ति के बाद सामग्री को पूजा स्थान में दशहरे के दिन जल प्रवाह कर दें। 


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